Sunday, April 27, 2025
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Yogini Ekadashi 2023 : इस दिन मनाई जाएगी योगिनी एकादशी, जाने पूजा करने की विधि और कथा

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Yogini Ekadashi 2023:हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण व्रत में से एक है। इस दिन श्री हरि नारायण भगवान की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं। सभी पापों का नाश होता है और दुख दर्द दूर होते हैं। बीमारियों से मुक्ति मिलती है और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस व्रत को कोई भी रख सकता है। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के योगिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून 2023 को दिन रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

एकादशी शुभ मुहूर्त

13 जून सुबह 09:28 मिनट प्रारंभ, 14 जून सुबह 08: 28 मिनट समाप्त।

योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून, 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा।

योगिनी एकादशी पारण मुहूर्त, 15 जून, गुरुवार सुबह 05:22 से 08:10।

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विधि

योगिनी एकादशी के दिन प्रात उठकर स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान को फल-फूल अर्पित करें और सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा-पाठ व आरती करें। भगवान विष्णु की अनुकंपा से आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा। वहीं माता लक्ष्मी की कृपा से धन के भंडार भरेंगे।

योगिनी एकादशी व्रत की कथा

मान्यता है कि अलकापुरी में कुबेर नाम के राजा थे। वह भगवान शिव क अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। राजा कुबेर का माली हेम रोज पूजन के लिए फूल लेकर आता था। उसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था। एक दिन वह फूल लेकर आया, लेकिन पत्नी की सुंदरता के वशीभूत होकर पूजन के फूलों की तरफ में ध्यान न दे सका। उधर राजा पूजा के लिए फूल की प्रतीक्षा करता रहा। जब माली नहीं आया, तो राजा ने सैनिकों को उसका पता लगाने को कहा। सैनिक उस माली को राजा के पास लेकर पहुंचे। राजा ने गुस्सा होते हुए हेम को कोढ़ी होने का श्राप दिया और पत्नी वियोगी होने का भी श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से हेम माली भटकता रहा और एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम जा पहुंचा। ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया। तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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