
खरोरा। kharora news दु:ख में और दर्द। यह किस्सा उन परिवारों का है, जो दुर्घटनाओं में अपनों को खो देते हैं और अपनों को खोने का दुःख और उसके बेजान शरीर को लेकर इधर-उधर भटकने का ग़म परिजनों के लिए यह समय सबसे ज्यादा तकलीफदायक होता है।
परिजनों को मृतक के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए सरकारी डॉक्टर की ढूलमुल रवैया के चलते एक से दो दिनों तक का इंतजार करना पड़ रहा है। अव्यवस्था के चलते बनी यह स्थिति दु:खों का पहाड़ टूट के बाद परिजनों को ज्यादा दर्द देती है। कहने को तो नगर में पोस्टमार्टम हाउस (चीरघर) बने हैं लेकिन वहां चिकित्सक की मनमानी सहित अन्य व्यवस्थाओं का अभाव है। यह अनदेखी व मनमानी मृतकों के परिजनों को और तकलीफें बढ़ा रही है। दुर्घटना सहित अन्य कारणों से हुई मौत के मामलों में शव को मुखाग्नि दो दिन बाद नसीब हो रही है। इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं।
नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए दिन मरीजों की परेशानी तो आम हो गई है, लेकिन अब मृतकों व उनके परिजनों को भी परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। हालात इतने खराब हैं कि सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टर अपनी मनमर्जी पर उतारू हैं। इसका एक नमूना सोमवार को देखने को मिला। अलग-अलग मामलों में मौत का शिकार हुए दो लोगों के शव पोस्टमार्टम कराने के लिए आए अलग-अलग गांवों के परिजनों को पोस्टमार्टम के लिए दो दिन तक इंतजार करना पड़ा। जिसके कारण शव से दुर्गंध आनी शुरू हो गई थी। क्योंकि इसमें एक की मौत रविवार को पानी में डुबने से हुई थी व दूसरे की मौत सोमवार सुबह सड़क दुघर्टना से हुई थी।
नगर में चिकित्सकों की लापरवाही का असर अब अंतिम सफर में भी पड़ने लगा है। ऐसा ही मामला नगर में आया है। यहां एक 12 वर्षीय बालक कामता पारधी पिता देशराम ग्राम तिल्दाडीह जो कि मानसिक रूप से कमजोर था। जिसकी रविवार सुबह तालाब में नहाने के दौरान डुबने से मौत हो गई थी। जिसके बाद बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए परिजन को करीब दो दिन का इंतजार करना पड़ा। सिस्टम की इस बेकद्री से शव दुर्गंध देने लगा था। उसके आसपास खड़ा होना मुश्किल हो गया था। परिजनों ने बताया कि रविवार की नहाने के दौरान डुबने से मौत हो गई। परिजन दोपहर दो बजे शव का पोस्टमार्टम कराने अस्पताल पहुंचे।
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वहां एक भी डॉक्टर नही होने के कारण पोस्टमार्टम रविवार को नहीं हो सका। दूसरे दिन सोमवार को पत्रिका संवाददाता चीरघर पहुंचने के बाद विधायक अनिता शर्मा व जिला कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को संज्ञान में देने के तत्काल बाद 30 मिनट में स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी पहूंची उसके बाद दोपहर 1.30 बजे के पोस्टमार्टम शुरू हुआ। तब तक शव इतनी तेज दुर्गंध देने लगा था कि लोग पास में जा नहीं पा रहे थे।
परिजन ने बताया कि नगर में शव को सुरक्षित रखने के कोई इंतजाम नहीं हैं। अस्पताल प्रबंधन भी शव को लावारिस छोड़ देता है। इस मामले में भी ऐसा ही दिखा। शव को सुरक्षित रखने के लिए बर्फ या डीप फ्रीजर की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसका असर यह हुआ कि सोमवार की सुबह होते-होते शव सड़ांध मारने लगा। दोपहर 1 बजे के बाद नगर से डॉक्टर पहुंचे, तब पोस्टमार्टम हो सका। इस दौरान दुर्गंध इतनी थी कि वहां खड़े होना मुश्किल था।
युवा पत्रकार संदीप सोनी को साधुवाद
परिजन सुकृत पारधी, सुशील पारधी, प्रकाश पारधी,
ग्राम तिल्दाडीह सरपंच जीवन पारधी, बहारू राम पारधी, कैलाश पारधी, बिसहत पारधी, कुमार यादव, सोनू यादव मेहतरू राम वर्मा, ने पत्रिका नमः आंखों से साधुवाद दिया। और कहा कि आप उपस्थित होकर उच्च अधिकारी व विधायक को जानकारी नहीं देते तो और कितना समय लगता पता नहीं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ऐसी लापरवाही नही होनी चाहिए। कारणों की जानकारी ली जायेगी दुबारा ऐसी स्थिति निर्मित ना हो। अपनों के खोने का ग़म रहता है। परिजनों को ऐसी समस्या ना हो।