Saturday, July 6, 2024
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राज्यपाल अनुसुईया उइके ने पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह मे कही यह बड़ी बात

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पत्रकारिता के आदर्श गुणों को अवश्य अपनाएं, जिससे हमारे समाज
और राष्ट्र का नव-निर्माण हो सके : राज्यपाल अनुसुईया उइके

पत्रकारिता विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह

रायपुर। raipur  कुलाधिपति एवं महामहिम राज्यपाल  अनुसुईया उइके ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि पत्रकारिता के आदर्श गुणों को अवश्य अपनाएंगे जिससे हमारे समाज और राष्ट्र का नव-निर्माण हो सके। राज्यपाल आज स्थानीय पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागृह में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहीं थीं।

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अपने उद्बोधन में महामहिम राज्यपाल ने कहा कि अकादमिक दृष्टि से आज पत्रकारिता एवं जनसंचार के क्षेत्र में हो रहे नव-परिवर्तनों की ओर युवाओं की दृष्टि है। आज मीडिया का महत्व समाज में बढ़ा है। लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। लेकिन न्यू मीडिया अनेक संभावनाओं के साथ समाज और देश की नवचेतना जागृत करने में अग्रसर है। सूचना, ज्ञान, मनोरंजन की दुनिया से आगे निकलते हुए आज मीडिया, हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। डिजिटल मीडिया के माध्यम से हम अपनी जीवन पद्धति को नए ढंग से देखने का प्रयास कर रहा है। संचार के इस युग में मीडिया के विद्यार्थियों की दोहरी जिम्मेदारी है कि वे पत्रकारिता के उच्च मापदंडों के साथ अपना कैरियर तो बनाएं ही, साथ-साथ अपने समाज और राष्ट्र की मुख्य चिंताओं पर भी अपनी व्यापक दृष्टि रखें। रोजमर्रा की खबरों के अलावा हमारे समाज और देश में आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की अनेकों चुनौतियां हैं। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। दूसरी ओर समाज का ऐसा भी वर्ग है जो पिछड़ा और अभावग्रस्त है, जिन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में जोड़ने की जरूरत है। पत्रकारिता इसका सशक्त माध्यम बन सकता है।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों को आगे कहा कि आप लोग आने वाले समय में पत्रकार बनेंगे आप सबका दायित्व है कि सकारात्मक समाचारों को प्रमुखता के साथ सामने लाना चाहिए। पॉजिटिव खबरें प्रेरणादायक होती हैं। सकारात्मक विचार जीवन में भी सकारात्मकता लाते हैं और चेहरे पर मुस्कान भी। पत्रकारिता का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन समाज के सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता, जनसेवा के महान लक्ष्य को पाने में कभी असफल नहीं हो सकती। छत्तीसगढ़ को पत्रकारिता की संस्कारभूमि का दर्जा दिया जाता है। बिलासपुर जिले के पेण्ड्रा रोड से महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित माधव राव सप्रे ने ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का प्रकाशन करके हमें जो गौरव दिलाया है उसकी परंपरा को बचाए रखना भी हमारा कर्तव्य है।

पत्रकारिता के क्षेत्र में संत भाव लाना सबसे पहली जरूरत हैः श्री एन.के. सिंह

प्रख्यात पत्रकार एवं ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव श्री एन. के. सिंह ने अपने दीक्षांत उद्बोधन में समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सच्चे पत्रकार संत की तरह होते हैं। उन्होंने राज्यपाल अनुसुइया उइके की सहृदयता की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे कितनी विनम्र व जमीन से जुड़ी हुई हैं. व्यावहारिक सुक्ष्मताएं ही व्यक्ति को महान बनाती हैं और ये बात राज्यपाल महोदया में स्पष्ट झलकता है। ठीक इसी तरह मानवीय गुणों की अभिवृद्धि करके एक अच्छा पत्रकार बना जा सकता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में संत भाव लाना सबसे पहली जरूरत है। आज तकनीक व न्यू मीडिया का जमाना है। किसी भी पत्रकार को प्रसिद्ध होने में 15 मिनट या 15 दिन ही काफी होते हैं। पत्रकारिता के सलीके को बेहतर ढंग से समझते हुए नए पत्रकारों को न्यू मीडिया एज को सूक्ष्मता व गहराई से समझना होगा।

श्री सिंह ने आगे कहा कि आज की पत्रकारिता एक अलग तरह के द्वंद्व से गुजर रही है। पत्रकारों को विश्लेषणात्मक रवैया अपनाते हुए मूल मुद्दे को समझना होगा। कैसे उदारीकरण के समय में जीडीपी तो बढ़ी लेकिन लोगों की आमदनी कम ही रही। गरीबों की स्थिति गरीब ही बनी रही। पत्रकारिता में इस तरह के जनसरोकार के मुद्दे को तुलनात्मक रूप से समझना होगा। पत्रकारिता में जिस तरह की चुनौतियां सामने आ रही है उसकी गहराई तक जाना होगा। पत्रकारिता के विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि गीता के एक श्लोक से हमें शिक्षा मिलती है कि “आदमी कैसे खत्म होता है” नए जीवन में प्रवेश कर रहे विद्यार्थियों को ‘क्वालिटी ऑफ ह्यूमन बीइंग’ को आत्मसात करना होगा। मनुष्य पशुवत होते जा रहे हैं किन्तु लोगों की अपेक्षाएं मीडिया से बहुत अधिक है। मॉडर्न जर्नलिज्म की दशा और दिशा समाज में व्यापक परिवर्तन लाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है।

पत्रकारिता का मूलमंत्र सजगता, निर्भयता, सत्यान्वेषण और मानवीय दृष्टिकोण – कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि विद्यर्थियों के लिए दीक्षांत जीवन का महत्वपूर्ण क्षण होता है। यह केवल उपाधि प्राप्त करने का अवसर भर नहीं है, बल्कि शिक्षित होकर स्वयं को मानवीय गुणों से युक्त बनाने व अपने सुयोग्य जीवन को असहाय मानव की सेवा में संलग्न करने के लिए संकल्पबद्ध होने का अवसर है। आज मीडिया की भूमिका सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। हमारा यह पत्रकारिता विश्वविद्यालय होने के कारण हमें मीडिया के उद्देश्यों और चुनौतियों के प्रति भी सचेष्ट रहने की आवश्यक है ताकि हम तकनीक व नवाचार का उपयोग भी अपने उन्नयन में करते रहें। पत्रकारिता का मूलमंत्र है सजगता, निर्भयता, सत्यान्वेषण और मानवीय दृष्टिकोण है।

उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अंचल के साहित्कारों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, संपादकों के सहयोग से पत्रकारिता एवं जनसंचार का यह विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ और देश की वैचारिक संपदा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा। स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने कि आप अपनी प्रतिभा, परिश्रम और पूरे मनोयोग से अपनी शिक्षा का उपयोग समाज और राष्ट्र हित में करें। मानवीय चेतना को समृद्ध करना भी भारतीय पत्रकारिता का ध्येय है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर ने दीक्षांत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का संतोष हैकि कोरोना-काल के प्रतिकूल परिस्थिति में विश्वविद्यालय ने पूरी सजगता एवं तत्परता के साथ समाज और मानवता के प्रति दायित्वों का निर्वहन किया।

दीक्षांत समारोह में दो शोधार्थियों सुधीर कुमार उपाध्याय एवं  दानेश्वरी सम्भाकर को पी-एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। इसके साथ ही वर्ष 2019, 2020 व 2021 के स्नातकोत्तर के 345 एवं स्नातक के 584 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इनमें 29 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं 29- 29 विद्यार्थियों को द्वितीय व तृतीय प्रावीण्य प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने दीक्षार्थियों को दीक्षांत उपाधि की शपथ दिलाई। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में संत रविशंकर महाराज ( रावतपुरा सरकार), महापौर  एजाज ढेबर, विधायक एवं कार्यपरिषद के सदस्य बृजमोहन अग्रवाल उपस्थित रहे। साथ ही विद्या परिषद के सदस्य डॉ. सुधीर सक्सेना, प्रो. वीरबाला अग्रवाल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, विद्यार्थियों के परिजन, शिक्षक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर ने आभार प्रदर्शन किया।

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