
छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा सहित 6 आरोपियों को बड़ी राहत मिली है। मामले में सुनवाई जस्टिस अभय एस औका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में हुई।
मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामले में ईसीआईआर और एफआईआर को देखने से पता चलता है कि कोई विधेय या अपराध नहीं हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब कोई आपराधिक धनराशि ही नहीं है तो इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का केस ही नहीं बनता है।
क्या है शराब घोटाला
ईडी की जांच के मुताबिक, पूर्व कांग्रेस सरकार में उच्च स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और राजनीतिक अधिकारियों वाला एक सिंडिकेट काम कर रहा था। छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। साल 2019-22 में दो हजार करोड़ रुपए से अधिक काले धन की कमाई हुई। मनी लॉन्ड्रिंग मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दायर आयकर विभाग की चार्जशीट से उपजा है।
पूर्व की कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई। प्रति शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई और देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा गया। ईडी के मुताबिक, डिस्टिलर्स से कार्टेल बनाने और बाजार में एक निश्चित हिस्सेदारी की अनुमति देने के लिए रिश्वत ली गई थी।