Friday, July 5, 2024
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BIG NEWS : झीरम कांड जांच रोकने की याचिका पर सवाल:मंत्री शिव डहरिया ने कहा- किसे बचाना चाहते हैं रमन सिंह और धरमलाल कौशिक

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झीरम घाटी नरसंहार का राजनीतिक जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार बहाना बनी है नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक dharamlal kaushik की यह याचिका। इसमें उन्होंने झीरम कांड jhiram kand की न्यायिक जांच रोकने की मांग की है। अब प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने इस याचिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि इस याचिका के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन rajiv bhawan में पत्रकारों से चर्चा में डॉ. शिव कुमार डहरिया ने कहा, यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है जब भाजपा ने झीरम घाटी कांड की जांच में बाधा खड़ी करने की कोशिश की है। जैसे ही झीरम घाटी कांड के जांच की बात आती है भाजपा के बड़े नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है। वे लोग किसी न किसी प्रकार से इसकी जांच को बाधित करने की कोशिश में जुट जाते हैं। कभी बयानबाजी करते हैं, कभी आंदोलन करते हैं और कभी कोर्ट की शरण में चले जाते हैं।

मंत्री शिव कुमार डहरिया shiv kumar dahariya ने पूछा कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक क्या इस बात से डरते हैं, कि झीरम घाटी कांड की जांच में कोई ऐसा सच निकल आएगा जिससे तत्कालीन भाजपा सरकार के किसी कुत्सित चेहरे से नकाब उठ जाएगा? क्या धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की लापरवाही सामने आ जाएगी? क्या धरमलाल कौशिक इस बात से डरते हैं कि नक्सली घटना के पीछे की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ तो उनकी पूरी पार्टी पर इसका प्रभाव पड़ सकता है? मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा, अगर यही घटना भाजपा नेताओं के काफिले के साथ हुई होती। अगर उसमें भाजपा के बड़े नेता मारे गए होते तो क्या धरमलाल कौशिक इसकी जांच को रोकने का ऐसा प्रयास करते।

पिछले आयोग ने अधूरी छोड़ी थी जांच

मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने कहा, झीरम घाटी कांड पर 2013 में गठित न्यायिक जांच आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है वह अधूरी है। खुद उसके अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने कहा था, जांच अधूरी है उनको और समय चाहिए। समय दिया गया लेकिन जांच शुरू होने से पहले उनका तबादला हो गया। ऐसे में अधूरी जांच को पूरा करने के लिए आयोग में नई नियुक्तियां की गई हैं। यह कोई नया आयोग नहीं है। जांच पूरी होने से पहले ही भाजपा की बेचैनी बता रही है कि सच सामने आने वाला है।

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कौशिक बोले, जांच तो हो चुकी है अब क्या बचा

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंत्री डॉ. शिव डहरिया के आरोपों को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा, पूर्ववर्ती सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग बनाया था। उसने पूरे तथ्यों की जांच की। उनका प्रतिवेदन भी आ गया। उसका परीक्षण कर उसे जनता के सामने लाया जाना चाहिए था। मैं मंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने उस प्रतिवेदन को देखा है। क्या सरकार ने परीक्षण किया, क्या विधानसभा में उसको रखा गया। किस आधार पर यह बयान दिया कि वह आधा-अधूरा है और जांच की जरूरत है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग के प्रतिवेदन से कांग्रेस घबराई हुई क्यों है।

इस याचिका के साथ शुरू हुआ ताजा विवाद

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है, जस्टिस प्रशांत मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दिया है। सरकार को इस रिपोर्ट को छह महीने के भीतर विधानसभा में पेश करना था। राज्य सरकार ने ऐसा न करके एक नया जांच आयोग गठित कर दिया। यह अवैध है और इसे रोका जाना चाहिए। उच्च न्यायालय में इस याचिका पर 9 मई को सुनवाई होनी है।

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