
नई दिल्ली। जीएसटी परिषद ने मंगलवार को कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर (GST) की दरों में बदलाव को मंजूरी दे दी। इन बदलाव के साथ, एक सीमा से अधिक के होटल के कमरों में रहना और अस्पतालों में कमरा लेना साथ ही डाकघर की कुछ सेवाओं का इस्तेमाल करना महंगा हो जाएगा। काउंसिल ने कई सेवाओं पर छूट (tax exemptions) वापस लेने का फैसला लिया है। जिसमें होटल के सस्ते कमरे शामिल हैं।
सोना और मूल्यवान पत्थरों की राज्य के भीतर आवाजाही के लिए ई-वे बिल जारी करने की अनुमति
जीएसटी परिषद ने राज्यों को सोना और मूल्यवान पत्थरों की राज्य के भीतर आवाजाही के लिये ई-वे बिल जारी करने की अनुमति भी दे दी गई। बैठक मेमं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं।
क्या हुए हैं आज फैसले
जीओएम ने कई सेवाओं पर जीएसटी छूट समाप्त करने का सुझाव दिया है। इसमें 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराया वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से कर लगाने का सुझाव शामिल हैश्अ भी इस पर टैक्स की छूट है।
इसके साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिये 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले कमरों (आईसीयू को छोड़कर) पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की भी सिफारिश की गई है।
जीओएम ने पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय पत्र, बुक पोस्ट और 10 ग्राम से कम वजन के लिफाफे को छोड़कर अन्य डाकघर सेवाओं पर कर लगाने का सुझाव दिया है।
राज्यों के भीतर, सोना, आभूषण और मूल्यवान पत्थरों की आवाजाही को लेकर ई-वे बिल के संदर्भ में परिषद ने सिफारिश की है कि राज्य एक सीमा तय कर सकते हैं जिसके ऊपर इलेक्ट्रॉनिक बिल जारी करना अनिवार्य होगा।
मंत्रियों के समूह ने सीमा दो लाख रुपए या उससे ऊपर रखने की सिफारिश की है. उच्च जोखिम वाले करदाताओं के संदर्भ में मंत्री समूह की रिपोर्ट में जीएसटी के तहत उच्च जोखिम वाले करदाताओं के पंजीकरण के बाद सत्यापन का सुझाव दिया गया है। ऐसे करदाताओं की पहचान के लिये इसमें बिजली बिल के ब्योरे और बैंक खातों का सत्यापन की भी बात कही गई है।
कल हो सकते हैं एक अहम फैसले
राज्यों को जून 2022 के बाद राजस्व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था जारी रखने तथा कैसिनो, ऑनलाइन गेम और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बुधवार को होगी।
बता दें कि विपक्ष-शासित राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति व्यवस्था को पांच साल के लिए बढ़ाने या राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70-80 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। मंगलवार को हुई बैठक में परिषद ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह की तरफ से पेश अंतरिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है।