Saturday, March 29, 2025
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एक जन्मदिन ऐसा भी, पार्षद चाचा के नाम से मशहूर पार्षद रितिक सिन्हा ने वृद्धाश्रम में बेसहारा बुजुर्गों संग मनाया जन्मदिन, बाटी खुशियां

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खुद के लिए तो हर कोई जीवन जीता है लेकिन कम ही लोग होते हैं, जो दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढते हैं। गरियाबंद पार्षद रितिक सिन्हा ने इसी बात का उदाहरण हैं। इन्होंने अपना जन्मदिन अपने उस परिवार के साथ मनाया, जो इनका न होकर भी इनका अपना है। इन्होंने वृद्धा आश्रम में अपना जन्मदिन मनाया और वहां मौजूद लोगों की पूजा कर अपने हाथों से खीर खिलाया ।

 

मौका यदि जन्मदिन का हो और धूमधड़ाके के साथ पार्टी न हो यह बात हजम नहीं होता। लेकिन आज भी कई युवा ऐसे हैं, जो आधुनिकता की चकाचौंध से दूर रहकर बड़ी सादगी के साथ अपना जन्मदिन मनाते हैं। ऐसे ही युवाओं में से एक हैं गरियाबंद के पार्षद चाचा के नाम से मशहुर पार्षद रितिक सिन्हा ,जिन्होंने अपने जन्मदिवस के अवसर पर धूमधड़ाका के साथ पार्टी करने के बजाय दीन-दुखियों की सेवा को प्राथमिकता दी है।

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पार्षद रितिक सिन्हा ने अपने जन्मदिवस के अवसर पर वृद्धाश्रम पहुंच कर आश्रम में रह रहे बुजुर्गो के साथ अपना जन्मदिन मनाया। ताकि उन्हें भी महसूस होने वाला एकाकीपन थोड़ा कम हो सके। उन्होंने कहा कि यहां ऐसे लोग हैं जिन्हें अलग-अलग कारण से उनके परिवार ने छोड़ दिया है।ऐसे भी लोग है जिनका अब इस दुनिया में कोई नहीं है। लेकिन फिर भी प्रशासन एन॰जी॰ओ॰ और कुछ अनजान लोगों द्वारा उनके भोजन,रहने खाने पीने की व्यवस्था करवाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो अपने निजी ज़िंदगी की खुशी इन्हीं के साथबाटते है इनका आशीर्वाद प्राप्त करने इच्छुक रहते हैं। वृद्धाश्रम में जन्मदिन मनाते हुए पार्षद रितिक सिन्हा ने वृद्धजनो को गुलाल लगा कर पूजा किया उनकी आरती उतारी और खीर खिला कर उनका मूँ मीठा करवाया साथ ही आश्रम में रह रहे सभी बुजुर्गो का आशिर्वाद लिया।

उन्होंने कहा कि महंगे होटलों और रिसोर्ट में जन्मदिन मना कर वो आत्मिक शांति नहीं मिलती जो बेसहारा और गरीब लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखने से मिलती है पार्षद चाचा रितिक सिन्हा ने बताया कि चाहे कैसी भी खुशी हो उनका प्रयास यही रहता है कि वे उसे वंचित वर्ग के साथ बांटें जिससे भले ही कुछ देर के लिए ही सही उन्हें भी खुशी मिलेगी और वे दिल से दुआएं देंगे।

अपनों के प्यार से महरूम लोगों को है सम्मान की जरूरत

अपने जन्मदिन पर पार्षद रितिक सिन्हा ने कहा कि हमनें इसे इस तरीके से सेलिब्रेट करने को सोचा कि जो लोग अपनों के प्यार से महरूम और वंचित हैं, उनको प्यार और सम्मान की जरूरत है। ये वो सम्मान और प्यार है, जो उन्हें उनकी औलादों के द्वारा नहीं मिला। हमनें सोचा आज उनको परिवार वाला टच दिया जाए, वो फील कराया जाए इसलिए वृध्दा आश्रम में जन्मदिन मनाया।

श्रवण कुमार जैसों की संस्कृति में इधर आ रही गिरावट

उन्होंंने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि हमारी संस्कृति कभी ये नहीं रही। हमारे देश में तो श्रवण कुमार जैसे लोग पैदा हुए, और भी बहुत सारी औलादों ने ऐसे कृतिमान स्थापित किए हैं। पता नही क्या वजह है के हमारी संस्कृति में इधर गिरावट आ रही है। निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में पांच मिनट के लिए काउंसलिंग की जरूरत है कि हम अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान डेवलेप कर सकें। ये हमारी ड्यूटी है और इस ड्यूटी के तहत प्रतिदिन हम कुछ न कुछ बताते भी है। अभी तक तो नैतिकता के आधार पर हम ये सोचते रहे के नैतिक रूप से शायद ये बदल जाए। लेकिन ऐसा नही हुआ तो कड़े प्राविधान और कानून होना चाहिए।

सोशल मीडिया में वायरल हो रही बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते पार्षद रितिक सिन्हा की तस्वीर देख कर नगर के बुज़र्गो। ने कहा कि यह एक सराहनीय कार्य है। एक युवा होने के बावजूद उनके हृदय में बुजुर्गों के प्रति जो सम्मान की भावना है ईश्वर ऐसे ही भावना सबके अंदर पैदा करे ताकि कोई भी पुत्र अपने वृद्ध मा बाप को वृद्धाश्रम न भेजे।

उन्होंने वृद्धजनों से आशीर्वाद लेते हुए उन्हें नियमित योग प्राणायाम करने का संकल्प दिलाया। और उनसे बातचीत कर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।

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