
Lok Sabha Election 2024 Leaders: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही इलेक्शन का बिगुल बज गया है. अब चुनाव मैदान में तमाम राजनीतिक पार्टियों के कद्दावर नेता और वक्ता दिखेंगे. जो अपने बोलने की कला से सबका ध्यान खीचेंगे. इसके अलावा कई नेता पर्दे के पीछे रहकर स्ट्रैटेजी तैयार करके पार्टी की जीत का ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे. माना जा रहा है कि इस लोकसभा चुनाव में 11 प्रमुख नेताओं और रणनीतिकारों पर सबका ध्यान रहेगा. इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी तक 11 प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के नाम शामिल हैं. आइए जानते हैं कि ये 11 प्रमुख नेता कौन हैं और चुनाव में इनकी भूमिका कितनी अहम हो सकती है.
प्रभावशाली नेताओं की लिस्ट में पहले नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. प्रधानमंत्री मोदी न केवल भारत पर अपने चुनावी प्रभुत्व की मुहर लगाना चाहते हैं, बल्कि पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए लगातार एक और जीत के साथ इतिहास रचने की कोशिश में हैं. प्रधानमंत्री मोदी ‘मोदी की गारंटी’ और ‘विकसित भारत’ के ईद-गिर्द चुनावी विमर्श को खड़ा करने की कोशिश करेंगे. पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के आत्मविश्वास के साथ चुनाव में उतर रहे हैं और उन्होंने अपने अगले कार्यकाल के लिए खाका पर काम भी शुरू कर दिया है.
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बीजेपी के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले और देश के गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर अपनी पार्टी की रणनीति में सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं. चाहे आर्टिकल 370 को निरस्त करना हो या सीएए, उन्होंने गृह मंत्री के रूप में कई मुश्किल परिस्थितियों में सरकार को संभाला है. 59 साल के अमित शाह एक बार फिर चुनावी युद्ध के मैदान में अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हुए एक सेनापति के अवतार में नजर आ सकते हैं.
सियासी पंडित मानते हैं कि राहुल गांधी की छवि कन्याकुमारी से कश्मीर तक की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने बदली है, लेकिन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार ने इस पर सवालिया निशान लगाया. अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के साथ, राहुल गांधी फिर से लोगों के लिए ‘न्याय’ सुनिश्चित करने के मकसद से जनता के बीच हैं. यह लोगों को पसंद आएगा या नहीं, यह सिर्फ समय ही बताएगा.
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कांग्रेस के कार्यकर्ता से शुरुआत कर अध्यक्ष तक पद तक पहुंचे मल्लिकार्जुन खरगे सक्रिय राजनीति में पांच दशक का अनुभव रखते हैं. उन्होंने अक्टूबर, 2022 में पार्टी की कमान संभाली. खरगे को अब कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए अपनी सबसे कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है.
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन इससे पहले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ बंगाल में उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर ऊहापोह की स्थित लंबे समय तक बनी रही. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में भाजपा को कड़ी टक्कर देती हैं. हालाकि, भाजपा ने संदेशखाली के मामले को लेकर उन पर हमले तेज कर दिए हैं. दोनों में रस्साकशी जारी है.
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बिहार की सत्ता में बने रहने और आसानी से राजनीतिक गठबंधन बदलने के अपने कौशल के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर पाला बदला है. उनका एनडीए में जाना, ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ. उनके भाजपा के साथ हाथ मिलाने से बिहार में स्थिति बदल गई है.
शरद पवार भारतीय राजनीति के दिग्गजों में शुमार किए जाते हैंय अपने ही भतीजे अजित पवार से परेशान और धोखा खाने वाले मराठा नेता शरद पवार शायद अपने करियर के आखिरी पड़ाव में सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. कभी हार न मानने वाले रवैये के लिए पहचाने जाने वाले शरद पवार एनडीए के लिए मुश्किल साबित हो सकते हैं. उनकी पहल पर ही महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी अस्तित्व में आया था.
डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन ने तमिलनाडु में अपना प्रभुत्व स्थापित किया है. तमिलनाडु में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की बड़ी ताकत हैं. स्टालिन से तमिलनाडु में विपक्षी गठबंधन को चुनावी बढ़त दिलाने की उम्मीद है. एमके स्टालिन को गांधी परिवार का कट्टर समर्थक माना जाता है.
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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव फिर से बिहार में विपक्ष में हैं, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन में उनका कद बढ़ गया है. तेजस्वी यादव ने बिहार में विपक्ष का नेतृत्व किया है और कई लोग उन्हें बिहार में उनके पिता लालू प्रसाद की विरासत के सही उत्तराधिकारी के रूप में देखते हैं. तेजस्वी यादव एनडीए के गणित को बिगाड़ पाएंगे या नहीं, इसका इम्तिहान लोकसभा चुनाव में होगा.
कहा जाता है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अक्सर विधानसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन के लिए ‘खेल बिगाड़ने’ की भूमिका निभाई है और कुछ नेताओं ने उन्हें बीजेपी की ‘बी-टीम’ करार दिया है. सवाल है कि क्या ओवैसी विपक्षी दलों या भाजपा का गणित बिगाड़ देंगे, यह देखना भी दिलचस्प रहेगा.
नवीन पटनायक ओडिशा के सीएम हैं. बीजेपी यहां विपक्ष में है. फिर भी बीजेपी, नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी के संपर्क में है. हालांकि, अब तक गठबंधन की घोषणा नहीं हुई है. माना ये भी जा रहा है कि अगर एनडीए या इंडिया को बहुमत के लिए जरूरत पड़ी तो नवीन पटनायक की भूमिका अहम हो सकती है.
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